1 जीवन की गहराइयों और अपनेपन से रूबरू कराती शायरी
1 जीवन की गहराइयों और अपनेपन से रूबरू कराती शायरी
अजीब तरह से गुजर गयी मेरी भी जिंदगी, सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ, मिला कुछ
हंसकर जीना ही दस्तूर है जिंदगी का, एक यही किस्सा मशहूर है जिंदगी का
हासिल-ए-जिंदगी हसरतों के सिवा और कुछ भी नहीं,ये किया नहीं, वो हुआ नहीं, ये मिला नहीं, वो रहा नहीं
ये ना पूछो,कि ये जिंदगी ख़ुशी कब देती है?क्योंकि ये शिकायत उसे भी है,जिसे ये जिंदगी सब देती है
ये मजबूत रिश्ते बड़ी आसानी से टूट जाते हैं विश्वास अटूट न होने पर
जिंदगी में जीत और हार हमारी सोच बनाती है, जो मान लेता है, वह हार जाता है, जब ठान लेता है, वह जीत जाता है
जीवन की गहराइयों और अपनेपन से रूबरू कराती लाइफ शायरी
जिंदगी में सारा झगड़ा ही ख्वाहिशों का है,ना तो किसी को गम चाहिए और ना ही किसी को कम चाहिए
जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है,कभी हंसाती है तो कभी रुलाती है,पर जो हर हाल में खुश रहते हैं, जिंदगी उनके आगे सिर झुकाती है
जिंदगी की सबसे बड़ी हार, किसी की आंखों में आंसू आपकी वजह से और जिंदगी की सबसे बड़ी जीत, किसी की आंसू में आंसू आपके लिए
जीने का हौसला कभी मरने की आरज़ू,दिन यूं ही धूप-छांव में अपने भी कट गए
जिंदगी में कुछ खत्म होना ज़रूरी होता है, कुछ नया शुरू करने के लिए
जाहिर है कि जीवन थोड़ा कठिन हुआ, पर मेरे हिस्से का पन्ना अभी खतम नहीं हुआ
जिंदगी को बदलने में वक्त लगेगा,पर क्या पता था बदलता हुआ वक्त,जिंदगी बदल देगा
जिंदगी जब भी आपको रुलाने लगे,आप इतना मुस्कुराओ कि दर्द भी शर्माने लगे,निकले न आंसू आंखों से आपके कभी,किस्मत भी मज़बूर होकर आपको हंसाने लगे