OPEC (ऑर्गनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज़) के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
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OPEC (ऑर्गनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज़) के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
परिचय
स्थापना: OPEC की स्थापना 14 सितंबर, 1960 को बगदाद, इराक में हुई थी। इसे पाँच देशों ने मिलकर बनाया: ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब, और वेनेजुएला।
मुख्यालय: OPEC का मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में स्थित है।
उद्देश्य: OPEC का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच तेल नीतियों का समन्वय और एकरूपता स्थापित करना है ताकि तेल की कीमतें स्थिर रहें, उपभोक्ताओं को नियमित आपूर्ति सुनिश्चित हो, और उत्पादक देशों को उचित आय मिल सके।
रोचक तथ्य
OPEC की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है, भले ही इसके सदस्य विभिन्न महाद्वीपों से आते हैं।
सदस्य देश
शुरुआत में OPEC के केवल 5 संस्थापक सदस्य थे, लेकिन 2023 तक यह संख्या बढ़कर 13 हो चुकी है।
प्रमुख सदस्य देशों में सऊदी अरब (OPEC का सबसे बड़ा तेल उत्पादक), यूएई, नाइजीरिया, अंगोला, अल्जीरिया, और इराक शामिल हैं।
सदस्य देश समय-समय पर जुड़ते और छोड़ते रहते हैं।
वैश्विक तेल बाजार में भूमिका
तेल उत्पादन: OPEC के सदस्य देश दुनिया के कुल 40% कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं और 80% से अधिक तेल भंडार के मालिक हैं।
कीमत नियंत्रण: OPEC तेल उत्पादन स्तर को समायोजित करके वैश्विक तेल कीमतों को प्रभावित करता है।
सहयोग: OPEC अन्य गैर-सदस्य तेल उत्पादक देशों (जैसे रूस) के साथ मिलकर OPEC+ गठबंधन बनाकर वैश्विक तेल उत्पादन को प्रबंधित करता है।
प्रमुख घटनाएँ
1973 का तेल संकट: OPEC ने योम किप्पुर युद्ध में इज़राइल का समर्थन करने वाले देशों पर तेल आपूर्ति प्रतिबंध लगाया, जिससे तेल की कीमतों में भारी वृद्धि हुई और इसकी भू-राजनीतिक शक्ति स्पष्ट हुई।
तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव: OPEC ने COVID-19 महामारी के दौरान 2020 में तेल की कीमतों में भारी गिरावट जैसी परिस्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उत्पादन कटौती: तेल बाजार को स्थिर रखने के लिए OPEC समय-समय पर उत्पादन को कम या बढ़ाने का निर्णय लेता है।
चुनौतियाँ
प्रतिस्पर्धा: OPEC को अमेरिका जैसे गैर-सदस्य तेल उत्पादक देशों से चुनौती मिलती है, खासकर शेल ऑयल के बढ़ने से।
ऊर्जा संक्रमण: अक्षय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन नीतियों की ओर वैश्विक रुझान तेल की मांग के लिए दीर्घकालिक चुनौती पैदा करते हैं।
आंतरिक विवाद: उत्पादन कोटा पर सदस्य देशों के बीच असहमति संगठन की एकता को प्रभावित कर सकती है।