30 March 2013

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Eighth Day Arvind Kejriwal Fast 5 lakh Delhi Citizens Dare and say ''NO'' to inflated electricity and Water Bills

Eighth Day Arvind Kejriwal Fast 5 lakh Delhi Citizens Dare and say ''NO'' to inflated electricity and Water Bills


Over five lakh people in Delhi have vowed not to pay the inflated water and electricity bills, as Arvind Kejriwal''s fast enters the eighth day.

The per day figure has continuously increased during the last week. Yesterday itself, i.e. March 29th, 136234 people expressed their solidarity to the Civil Disobedience movement launched by Aam Aadmi Party, touching a total figure of 511274 in the past 7 days.

Yesterday, people living in North West Delhi showed the maximum support, followed by North East Delhi - in both these areas more than 25,000 people pledged not to pay their bills in a single day. Next in line are South Delhi and West Delhi, where more than 20,000 people in a single day have signed protest letters to Shiela Dikshit.

The movement yesterday received a boost when Anna Hazare visited the fasting venue to meet Arvind Kejriwal and his family late in the night.

While enroute to Amritsar, Anna visited Sunder Nagri. Addressing the crowds he said, "Raste alag hai, magar manzil ek hi hai." (Their paths might be different but the goal is the same). He said Arvind Kejriwal is fighting for the poor people and expressed his concern over inflated bill. He said, “Arvind apne liye kya maang raha hai? Jo garib logo par anyay ho raha hai isko sarkar KO dekhna chahiye. Ek garib Aadmi ka 3-4 hazar bill aa gaya to kaha se bharega?” He also said that whenever required he would come together to fight for the country.


Meanwhile, despite weakness, Arvind Kejriwal''s health parameters are within normal range.

His Blood Pressure is 110/70, pulse is 70, weight is 59, and Ketone is 3+.



Transcript of Annaji’s speech

अन्ना ने अरविन्द से की मुलाकात और उपस्थित लोगों को संबोधित किया

लोगों में अब जाग्रति गई है. पुरे देश में लोग जग गये. अभी जहाँ तक सहन करते हैं वहां तक सहन करके अनशन को छोड़ना और फिर से तंदुरुस्त होकर ये लड़ाई के लिए खड़ा हो जाना. ये चार-छः दिन की लड़ाई नही है. बहुत लम्बी लड़ाई है. अरविन्द क्या मांग रहे हैं अपने लिए, खुद के लिए पैसा मांग रहे है? खुद के लिए कोई पद मांग रहे है? अरविन्द ये ही मांग रहे है कि जो गरीब लोगों पर अन्याय हो रहा है इसको सरकार ने देखना चाहिए. एक गरीब आदमी घर में रहता उसको - हज़ार बिजली का बिल गया तो वो कहाँ से भरेगा. पानी का बिल, बिजली का बिल, इन्होने कांट्रेक्टर नियुक्त की, कंपनी नियुक्त की और उनको सब कॉन्ट्रैक्ट दे दिया. ऐसा ही करना है तो सरकार क्यों चला रहे थे. सब उनको ही दे दो. मेरे कहने का मतलब है मैं सवेरे अभी अमृतसर जाना है. कल से हमारा देश भर का टूर शुरू हो रहा है. और वो अमृतसर के जलियावाला बाग़ शहीद भूमि से शुरुवात हो रही है. मेरे कहने का मतलब है, मैं पहले बताया अरविन्द और हमारा रास्ता अलग हो गया लेकिन मंजिल एक ही है.

लोग जग गए हैं, लोग जाग गए हैं. फिर से... फिर से हम तंदरुस्त होकर लड़ाई के लिए खड़े हो गए. जैसे हमलोग रामलीला मैदान में अनशन किया, और अनशन किया, फिर से अभी तंदरुस्त हो गया लड़ाई के लिए. अभी डेढ़ साल देश में घूमूँगा, डेढ़ साल. वहीँ अरविन्द अनशन ख़तम करने के बाद लोक शिक्षा और लोक जाग्रति का काम जारी रहेगा. और मुझे विश्वास हो रहा है, देश साल हम लोग घूमे देश में एक सौ बीस करोड़ जनता जाग जाएगी. आरे कई लोग तो कुम्भकरण बन गए. लेकिन मुझे विश्वास हो रहा है की कम से कम छे करोड़ लोगों को हम संगठित करेंगे देश में, छे करोड़. और डेढ़ साल में छे करोड़ लोग संगठित हो गए तो सरकार का नाक दबाने से मुंह खुल जायेगा. वो काम हमें करना है आगे के लिए.

हिंसा नहीं करना कोई, अहिंसा के मार्ग से हमें चलना है. अहिंसा में बहुत बड़ी शक्ति है. और, मैं ये फिर से कहना चाहता हूँ, अगर ये छे करोड़ लोग संगठित हो गए देश के, तो समाज के प्रश्न को लेकर, इलेक्शन डिक्लेअर हो गया, तो फिर से मैं होगा रामलीला मैदान. देश की जनता रास्ते पर खड़ी होगी. ‘भारत माता की जय’ ‘वन्दे मातरम’ ‘इन्किलाब जिंदाबादऔर देश की जनता सरकार को कहेगी, सरकार को कहेगी गरीबों की सोचो, गरीब के लिए करप्शन को ब्रेक लगाने वाले कानून लाओ नहीं तो घर जाओ.

करेंगे, करेंगे..., करेंगे. समय गया नहीं. ये आज़ादी की दूसरी लड़ाई समझ कर हमें लड़नी है, आज़ादी की दूसरी लड़ाई है ये, अरे एक लड़ाई तो लड़े वो, 1857 से लेकर 1947 तक, एक लड़ाई लड़े. लाखों लोगों ने बलिदान किया. भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे लाखों लोगों ने बलिदान किया और हमें आज़ादी मिली, आज़ादी दी. किसको मिली आज़ादी? सिर्फ गोरे गए और काले गए. क्या फर्क हो गया. इसीलिए ये आज़ादी की दूसरी लड़ाई हमें लड़नी है, सब मिलकर.

अभी मुझे प्रेस वाले पूछ रहे थे, अरविन्द के बार में, मैं बोला पहले मैं बताया, उनका मेरा रास्ता अलग है, मंजिल एक है. समाज की भलाई, देश की भलाई. ये हम चाहते हैं, हम दूसरा क्या चाहते हैं. देश की भलाई, समाज की भलाई, ये हम चाहते. हम लड़ते रहेंगे, शरीर में प्राण हैं जब तक लड़ते रहेंगे. तो इसलिए, आज मैं सबेरे जल्दी अमृतसर जाना है. मैं अरविन्द को कहा था, मुझसे मिलने के लिए आये थे, उनको बताया की मैं अमृतसर जाते समय आपसे मिलकर जाऊंगा. इसलिए अभी आये हैं, सबेरे की ट्रेन से मैं अमृतसर जाऊंगा. और समय आने से फिर से जहां-जहां, जहां-जहां एक दुसरे की जरूरत पड़ेगी, मैं चाहे बाबा रामदेव हों, चाहे बाबा रामदेव हों, चाहे श्री श्री रविशंकर हों, सब लोग अभी मिलकर लड़ने का समय गया देश में. देश में वो समय गया है. अब मिलकर ये लड़ाई लड़नी पड़ेगी. तभी सही आज़ादी मिल सकती है. सही जनतंत्र तब आयेगा, आज कहाँ है जनतंत्र? कहाँ है प्रजातंत्र? वो लेन के लिए हम देश के सभी आन्दोलनकारी लोग इक्कठा होकर इस लड़ाई को लड़ेंगे. हमलोग तो तय किया है, की ये लड़ाई लड़ने के लिए शरीर में प्राण हैं तबतक लड़ते रहेंगे. मैं फिर से आपके सामने अरविन्द को ये बताता हूँ की ठीक है, एक, दो, तीन दिन, ज्यादा नहीं. छोड़ दो. थोडा विश्राम करो, और तंदरुस्त होकर फिर लड़ाई के लिए खड़े हो जाओ. ये लड़ाई बहुत लम्बी लड़ाई है, ये चार-छे दिन की लड़ाई नहीं है. ये बहुत लम्बी लड़ाई हमें लड़नी पड़ेगी. गरीब लोगों को न्याय देने के लिए, ये साल दो साल की लड़ाई नहीं है. ये सिर्फ चुनाव तक की लड़ाई नहीं है. ये बहुत लम्बी लड़ाई है. तब तक हमें लड़ना पड़ेगा. तब तक लड़ना पड़ेगा, और आप लोग जो हैं, खड़े हो , आपके वजह से, हम लोगों को लड़ने की शक्ति मिल रही है, उर्जा मिल रही है. लड़ते रहेंगे, लड़ते रहेंगे. मैं आप सब के लिए धन्यवाद करता हूँ.

मैं इधर बोलने के लिए नहीं आया था, सिर्फ अरविन्द को मिलने के लिए आया था. और अभी खोजकर मुझे पूछ रहे थे कई लोग, अरविन्द और आप, अरे मैं बोला, हमारे रास्ते अलग अलग हैं, मंजिल एक है, हमें जाना है आगे, देश को बनाना है. मैं उनको ये बताया. वो चाहते हैं, अन्दर जाके बदलाव, वो भी देश के लिए जरूरी है. संसद में जाकर बदलाव लाना बहुत ही जरूरी है और इसका, आज़ादी का अर्थ, स्वराज का अर्थ लगाकर चलने वाली जो सरकार होगी उसपर जनशक्ति का दबाव, दोनों बातें जरूरी हैं. एक अन्दर से, दूसरा बाहर से, दोनों में बदलाव लाना जरूरी है, और वो हमलोग करते रहेंगे. तो मैं ये बताने के लिए आया था अरविन्द को की अभी ज्यादा देर मत रुको, एक, दो, तीन दिन, उसके बाद अनशन को छोड़ो, थोड़ा तंदरुस्त हो जाओ, हम लड़ते रहेंगे.

अरविन्द: मैं बस ये कहना चाहता हूँ, आज अन्ना जी की फ्लाइट नौ बजे पहुंची और उन्होंने समय निकला इसके बावजूद, वो बहुत व्यस्त थे, और इतनी रात को भी वो हमें आशीर्वाद देने के लिए आये हैं, मैं बहुत- बहुत शुक्रगुजार हूँ अन्ना जी का. बहुत बहुत शुक्रिया.

भारत माता की जय... भारत माता की जय...
 


Reality views by sm –

Saturday, March 30, 2013

Tags –AAP Arvind Kejriwal

2 comments:

MEcoy March 31, 2013  

wish i could read that too